गुह्येश्वरी के रूप में होती है माता की पूजा, नेपाल की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है
जीवन मंत्र डेस्क. 51 शक्तिपीठों में नेपाल की महामाया भी है, जिसे गुह्येश्वरी शक्तिपीठ भी कहा जाता है। पशुपतिनाथ मंदिर से कुछ दूरी पर बागमती नदी के दूसरी तरफ स्थित इस मंदिर में विराजीं देवी नेपाल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में पूजी जाती हैं। इस शक्तिपीठ की शक्ति 'महामाया' और शिव 'कपाल' हैं। इन्हें गुह्याकाली भी कहा जाता है। मंदिर का महत्व तंत्र में भी है, इसलिए यहां आने वालों में तांत्रिकों की संख्या बहुत है।
गुह्येश्वरी शक्तिपीठ तकरीबन 2500 साल पुराना है। गुह्येश्वरी दो शब्दों गुह्या (सीक्रेट) और ईश्वरी (देवी) से मिलकर बना है। यह काठमांडू में यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स में से एक है। ऐसी मान्यता है कि यहां देवी सती के शरीर से संधिस्थल (शौच अंग) गिरे थे, जिसके बाद कुछ सौ साल पहले इस मंदिर का निर्माण शुरू हुआ। 17वीं सदी में राजा प्रताप मल्ला ने इस मंदिर का निर्माण कराया। इसके बाद कांतिपुर के नौवें राजा ने पगोड़ा शैली में बने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया।
हर साल की तरह इस बार भी शक्तिपीठ पर नवरात्र मेला लगा है, जिसमें भारत, भूटान सहित कई देशों से श्रद्धालु दर्शन करने आ रहे हैं। इस बार नवरात्र के साथ 10 दिवसीय दशैन उत्सव भी मनाया जा रहा है। शक्तिपीठ के स्वयंसेवकों का एक दल मेले और दर्शन की व्यवस्था संभाल रहा है। इस बार साफ-सफाई और दर्शन व्यवस्था को पहले से बेहतर किया गया है। पशुपतिनाथ मंदिर से शक्तिपीठ आने वाले श्रद्धालुओं की मदद के लिए मंदिर समिति से जुड़े स्वयंसेवकों की एक टीम भी लगातार जुटी हुई है। महाअष्टमी की खास तैयारियां भी इसी क्रम में चल रही हैं। आंकड़ों की मानें तो हर साल भारत से 6 लाख श्रद्धालु पशुपतिनाथ आते हैं और इनमें से ज्यादातर शक्तिपीठ दर्शन भी करते हैं। मंदिर के मुख्य कर्मचार्य का अनुमान है कि इस बार 2 लाख श्रद्धालु आएंगे।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2nj650d
Comments
Post a Comment