दिल्ली में 18 साल में 61 फीसदी बढ़ गया प्रदूषण, लाेगाें की उम्र 10 साल कम हो गई
नई दिल्ली.दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण ने यहां के लोगों की उम्र 10 साल कम कर दी है। पूरे उत्तर भारत में उम्र औसतन 7 साल कम हुई है। यह दावा शिकागो यूनिवर्सिटी की शोध संस्था एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट एट द यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो (ईपीआईसी) ने अपने विश्लेषण के जरिए किया है। गुरुवार को ईपीआईसी ने हिंदी वेबसाइट लॉन्च करते हुए यह विश्लेषण जारी किया। इस वेबसाइट (https://ift.tt/2wTrqjH) के माध्यम से कोई भी व्यक्ति दुनिया में जिस भी जगह रहता है, वहां उसकी औसत उम्र कितनी कम हुई है, यह जान सकता है। विश्लेषण के मुताबिक साल 1998 से 2016 के बीच गंगा के मैदानी इलाके (उत्तर भारत) में वायु प्रदूषण (हवा में पर्टीकुलेट मैटर यानी पीएम2.5 अाैर 10) 72 प्रतिशत बढ़ गया। इस पूरे इलाके में भारत की 40 प्रतिशत से अधिक आबादी रहती है। प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा बढ़ने की वजह से उत्तर भारत के लोगों की औसत उम्र 7 साल कम हो गई। दिल्ली में यह 10 साल है। दरअसल 1998 मे दिल्ली में पर्टीकुलेट मैटर का प्रदूषण 70 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था जोकि 2016 में 113 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर (61 फीसदी ज्यादा) हो गया। संस्था ने यह विश्लेषण सेटेलाइट डाटा के आधार पर किया। विश्लेषण में 2016 के बाद के डाटा को शामिल नहीं किया गया है।
नवजात शिशु की पहली सांस में ही जा रहा है प्रदूषण
ईपीआईसी की ओर से विश्लेषण जारी करने के दौरान लंग केयर फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ. अरविंद कुमार ने बताया कि बढ़ते प्रदूषण में हर कोई स्माेकर बन रहा है। नवजात शिशु भी जब पहली सांस लेता है ताे उसके अंदर प्रदूषण चला जाता है। प्रदूषण इतना ज्यादा बढ़ रहा है कि यह 24 घंटे में 20-25 सिगरेट के बराबर है। पीएम 2.5 के स्तर को 22 से भाग देने पर उतनी सिगरेट का धुआं लोग अपने अंदर ले रहे हैं। प्रदूषण बढ़ने से लोग बहुत ज्यादा स्तर तक बीमार हो रहे हैं। इससे उनकी उम्र कम हो रही है। ईपीआईसी की फाइंडिंग के बारे में उन्होंने कहा कि हर कोई अपने हिसाब से रिसर्च करता है। मगर एक बात सही है कि इससे लोगों की उम्र कम तो हो रही है।
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