देश में हुए 6 बड़े दंगों में 7,600 से ज्यादा लोगों की मौत आरोपियों पर दशकों से केवल न्यायिक जांच और सुनवाई
नई दिल्ली.दिल्ली में हुए दंगों में अब तक 42 लोगों की मौत हो चुकी है। 2013 में मजफ्फरपुर में हुए सांप्रदायिक दंगों के सात साल बाद यह पहला मौका है जब देश में इतनी बड़ी संख्या में जनहानी हुई है। इन दंगों के पीछे मुख्य आरोपी कौन हैं यह फिलहाल जांच का मुद्दा है, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम के दौरान कई ऐसे वाकये हुए जिन्होंने लोगों को बेनकाब करने का काम किया है।
अगर आजादी से अब तक हुए प्रमुख सांप्रदायिक दंगों की बात करें तो केवल सरकारी आंकड़ों के अनुसार ही लगभग 7,600 से ज्यादा लोगों ने दंगों में अपनी जान गंवाई है। वहीं पीड़ितों की संख्या लाखों में हैं। हालांकि इन सांप्रदायिक दंगों के अलग-अलग कारण हैं, लेकिन अधिकांश में राजनीतिक बयानबाजी और धार्मिक कट्टरता प्रमुख रही।
अगर इन दंगो के आरोपियों पर हुई कार्रवाई की बात की जाए तो यह बहुत ही निराशाजनक है। आंकड़े बताते हैं कि दंगों को भड़काने वाले लोगों ने इन्हें अपने राजनीतिक स्वार्थ को पूरा करने के लिए किया, जिसका उन्हें फायदा भी मिला। ऐसे ही भड़काऊ बयानों ने दिल्ली को दंगों की आग में धकेला। हालांकि यहांं कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। सुनवाई के दौरान तल्ख टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने सरकार और जिम्मेदारों को फटकार लगाते हुए दिल्ली को दोबारा 1984 के दंगों में न बदलने की चेतावनी दी।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकर अजीत डोभाल को दिल्ली की सड़कों पर उतरकर लोगों को आश्वस्त करना पड़ा। पूरे घटनाक्रम में मुख्यरूप से बीजेपी के नेता कपिल मिश्रा और आप के पार्षद ताहिर हुसैन का नाम सामने आया है। ताहिर को फिलहाल जांच होने तक पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया गया है जबकि कपिल के विरुद्ध कोई एक्शन नहीं हुआ।
दिल्ली दंगों का बैकग्राउंड
सी एए कानून संसद के दोनों सदनों से 12 दिसंबर को पास हो चुका था और राष्ट्रपति ने भी इसे मंजूरी दे दी थी। इसके विरोध में दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्र लगातार सड़क पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे थे। कानून आने के बाद पहला शुक्रवार 15 दिसंबर 2019 को पड़ा। शुक्रवार की नमाज खत्म होने के बाद जामिया नगर, ओखला और बाटला हाउस के लोग जामिया मिल्लिया के छात्रों के साथ विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गए। इसके साथ ही अबु फजल और शाहीन बाग के लोग भी इसमें आ जुड़े। अचानक इस प्रदर्शन ने हिंसक रूप अख्तियार कर लिया।
पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच पथराव शुरू हो गया। जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले भी छोड़े। शाम के करीब आठ बजे के वक्त जामिया के कुछ छात्र और शाहीन बाग इलाके की कुछ महिलाएं जाकर रोड पर बैठ गईं। 15 दिसंबर की रात से शाहीन बाग में लोग जुटना शुरू हो गए। शाहीन बाग के आंदोलन की चिंगारी देश भर में फैलने लगी। इसका नतीजा है कि लखनऊ, प्रयागराज से लेकर पटना, गया, जयपुर, जबलपुर, रांची सहित देश के करीब तीन दर्जन शहरों में महिलाएं खुले आसमान के नीचे बैठी हैं।
एक माह मेंपांच बयान, जिनसे माहौल बिगड़ा
चुनाव आयोग द्वारा 7 जनवरी को दिल्ली में विधानसभा चुनावों की घोषणा के साथ ही इस मुद्दे ने विवादित रूप लेना शुरू कर दिया। नेताओं ने विभिन्न रैलियों और सभाओं में लोगों को भड़काने वाले बयान दिए जिससे माहौल खराब हुआ।
24 जनवरी- कपिल मिश्रा का विवादित ट्वीट
भाजपा नेता ने एक ट्वीट किया, जिसमें कहा गया कि "आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने शाहीन बाग जैसे मिनी पाकिस्तान खड़े किए हैं। उनके जवाब में आठ फरवरी को हिंदुस्तान खड़ा होगा।'
28 जनवरी- केंद्रीय मंत्री का विवादित नारा
रिठाला से बीजेपी उम्मीदवार मनीष चौधरी के समर्थन में एक जनसभा में पहुंचे केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने चुनावी रैली में आए लोगों को ‘गद्दारों को गोली मारने वाला’ भड़काऊ नारा लगाने के लिए उकसाया था।
15 फरवरी-वारिस पठान की धमकी
15 फरवरी को आयोजित एक रैली में एआईएमआईएम के नेता वारिस पठान ने कहा कि अभी तक केवल शेरनियां ही बाहर आई हैं और आप पसीना बहा रहे हैं। इससे आप समझ सकते हैं कि यदि हम सभी बाहर निकल आए तो क्या होगा। हम 15 करोड़ हैं लेकिन 100 करोड़ के ऊपर भारी हैं। ये याद रख लेना।
17 फरवरी- भाजपा नेता के विवादित बोल
पश्चिम बंगाल में भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने सीएए के खिलाफ चल रहे कोलकाता के पार्क सर्कस व दिल्ली के शाहीन बाग में बैठे आंदोलनकारियों को अशिक्षित, निरक्षर बता दिया।
23 फरवरी- कपिल का दूसरा विवादित बयान
बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि "ये यही चाहते हैं कि दिल्ली में आग लगी रहे। इसलिए उन्होंने रास्ते बंद कर दिए और दंगे जैसा माहौल बना रहे हैं। कपिल ने आगे कहा कि डोनाल्ड ट्रंप के जाने तक तो हम शांति से हैं, लेकिन फिर हम आपकी भी नहीं सुनेंगे। अगर रास्ते खाली नहीं हुए तो।
देश के छह भयावह दंगे जिनमें हुईं सबसे ज्यादा मौतें
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2wTGYFz
Comments
Post a Comment