देवी महागौरी की पूजा से खत्म होते हैं पाप और बढ़ती है सकारात्मक ऊर्जा

जीवन मंत्र डेस्क.चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन मां दुर्गा की पूजा महागौरी स्वरूप में की जाती है। मार्कंडेय पुराण के अनुसार शुभ-निशुम्भ से पराजित होकर देवतागण गंगा के तट पर जिस देवी की प्रार्थना कर रहे थे वह महागौरी हैं। देवी महागौरी के अंश से ही कौशिकी का जन्म हुआ जिसने शुम्भ निशुम्भ के प्रकोप से देवताओं को मुक्त कराया। यह देवी गौरी शिव की पत्नी हैं। इन्ही की पूजा शिवा और शाम्भवी के नाम से भी की जाती है।

  • गोस्वामी तुलसीदास के अनुसार इन्होंने शिवजी को प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या का संकल्प लिया था। जिससे इनका शरीर काला पड़ गया था। इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर जब शिव जी ने इनके शरीर पर पवित्र गंगाजल डाला तब वह विद्युत के समान पूरी तरह कांतिमान और गौर हो गया। तभी से इनका नाम महागौरी पड़ा।

देवी महागौरी का स्वरूप

देवी महागौरी का रंग अत्यंत गौरा है। इनकी उम्र आठ वर्ष बताई गई हैं। इनकी चार भुजाएं हैं। वाहन बैल है। देवी के दाहिने ओर के ऊपर वाले हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है। बाएं ओर के ऊपर वाले हाथ में डमरू और नीचे वाले हाथ में वर मुद्रा है। इनका स्वभाव अति शांत है। मां महागौरी के प्रसन्न होने पर भक्तों को सभी सुख अपने आप ही प्राप्त हो जाते हैं। इसके साथ ही शांति का अनुभव भी होता है।

पूजा विधि

  1. चौकी यानी बाजोट पर देवी महागौरी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें और गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें।
  2. चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें।
  3. चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका यानी 16 देवियां, सप्त घृत मातृका यानी सात सिंदूर की बिंदी लगाकर स्थापना करें।
  4. इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प लें और वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा माता महागौरी सहित सभी स्थापित देवताओं की पूजा करें।
  5. पूजन सामग्री में शुद्ध जल, कच्चा दूध, दही, पंचामृत, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल और पान शामिल कर सकते हैं।
  6. इसके बाद दक्षिणा चढ़ाकर आरती एवं प्रदक्षिणा करें और मंत्र पुष्पांजलि करने के बाद प्रसाद बांटकर पूजा पूरी करें।


देवी महागौरी की पूजा का मंत्र
श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

देवी महागौरी की पूजा का महत्व

देवी महागौरी की पूजा करने से हर तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं।जो स्त्री इनकी पूजा करती हैं। देवी उनके सुहाग की रक्षा करती हैं। देवी महागौरी की पूजा से कुंवारी लड़कियों को योग्य वर मिलता है। जो पुरूष इनकी पूजा करते हैं उनका जीवन सुखमय रहता है। इनके प्रभाव से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। इनकी पूजा से आनंद और सुख मिलता है। असंभव काम भी पूरे हो जाते हैं। देवी महागौरी की पूजा करने से मनोवांछित फल भी मिलते हैं। देवी की पूजा से पाप खत्म जाते है। जिससे मन और शरीर शुद्ध हो जाता है। अपवित्र व अनैतिक विचार भी नष्ट हो जाते हैं। देवी दुर्गा के इस सौम्य रूप की पूजा से मन की पवित्रता बढ़ती है। जिससे सकारात्मक ऊर्जा भी बढ़ने लगती है। मन को एकाग्र करने में मदद मिलती है।



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