मनमाने ढंग से फीस मांगने वाले 9 निजी स्कूलों को शिक्षा विभाग ने थमाया नोटिस, हफ्तेभर में जवाब देने को कहा, नहीं तो होगी कार्रवाई
सरकार के आदेश के बावजूद जिले के कुछ स्कूल अभिभावकों पर मनमानी फीस के लिए दबाव बना रहे हैं। इसकी शिकायत मिलने के बाद जिला शिक्षा विभाग ने गुरुवार को करीब 9 स्कूलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। उनसे इस संबंध में एक हफ्ते में जवाब मांगा गया है। इनसे पूछा गया है कि आदेश के बावजूद फीस की बढ़ोतरी और उसे जमा कराने के लिए अभिभावकों पर कैसे दबाव बना रहे हैं। विभाग के अनुसार समुचित जवाब नहीं देने वाले स्कूलों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। जिला शिक्षा विभाग के अनुसार गुरुवार को जिन स्कूलों को नोटिस जारी किया गया है, वे सभी सीबीएसई से मान्यता प्राप्त हैं। इन पर आरोप है कि ये अभिभावकों पर बढ़ी हुई फीस को जमा कराने के लिए दबाव बना रहे हैं। स्कूल अभिभावकों को पत्र जारी कर कह रहे हैं कि जल्द फीस जमा कराएं।
अभिभावकों ने लगाया आरोप
अभिभावक एकता मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा के अनुसार सरकार के आदेश के बावजूद स्कूलों की मनमानी नहीं थम रही है। यह चिंता की बात है। लॉकडाउन में स्कूलों की मानवीयता दिखानी चाहिए और अभिभावकों पर दबाव नहीं बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कुछ स्कूलों ने अभिभावकों को राहत दी है, जो अच्छी बात है। लेकिन अधिकांश स्कूल अभिभावकों पर एक साथ 3 महीने की बढ़ाकर फीस जमा करने का दबाव बना रहे हैं।
सभी को पहले ही दिया जा चुका आदेश
जिला शिक्षा अधिकारी सतेंदर कौर ने बताया कि सरकार के आदेश के बाद सभी स्कूलों को पहले ही निर्देश दिए गए हैं कि वे बच्चों से फीस बढ़ाकर न वसूलें। केवल मासिक आधार पर ट्यूशन फीस ही लें। किसी से भी ट्यूशन फीस के अलावा अन्य मदों में फीस न लें। साथ ही लॉकडाउन के दौरान जो अभिभावक फीस जमा नहीं कर पा रहे हों, उनके बच्चों का नाम न काटा जाए। साथ ही बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई से भी वंचित न किया जाए। इसके बावजूद कुछ स्कूलों ने फीस बढ़ाकर अभिभावक पर इसे जमा करने के लिए दबाव बनाया है। ऐसी शिकायतें विभाग को मिली हैं। इसके बाद उक्त स्कूलों को नोटिस जारी किया गया है।
एक हफ्ते के अंदर मांगी गई है रिपोर्ट
शिक्षा विभाग के अनुसार जिन स्कूलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है, उन्हें एक हफ्ते के अंदर इसका जवाब देने के लिए कहा गया है। अगर वह इस दौरान समुचित जवाब नहीं देते हैं तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उनकी मान्यता को रद्द करने के लिए निदेशालय को रिपोर्ट भेजी जाएगी।
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