दिल्ली सरकार के पास वेतन देने को पैसे नहीं, केंद्र से 5 हजार करोड़ रुपए की मदद मांगी
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्र सरकार से 5 हजार करोड़ की आर्थिक सहायता मांगी है। दिल्ली को राजस्व प्राप्त नहीं हो रहा है। इसलिए केंद्र से मदद मिलना जरूरी है। जिससे कर्मचारियों, शिक्षकों, डॉक्टर, इंजीनियर, सिविल डिफेंस के लोग तथा कोरोना राहत में जुटे अन्य कर्मियों को सैलरी का भुगतान कर पाएंगे। सिसोदिया ने केंद्रीय वित्त मंत्री को 26 मई को पत्र लिखा है। इस संबंध में रविवार को ऑनलाइन प्रेसवार्ता में सिसोदिया ने जानकारी दी। सिसोदिया ने कहा कि लॉकडाउन के कारण पूरे देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है। दिल्ली पर भी इसका काफी असर हुआ है।
दिल्ली सरकार ने अपने न्यूनतम खर्च की समीक्षा की है। इसके अनुसार केवल वेतन तथा कार्यालय खर्च पर न्यूनतम 3500 करोड़ का मासिक खर्च है। वहीं, पिछले दो माह में जीएसटी से मात्र 500 करोड़ मासिक प्राप्त हुआ है। जीएसटी तथा अन्य स्रोत मिलाकर प्रथम तिमाही में कुल 1735 करोड़ रुपए मात्र का संग्रह हुआ है। पिछले साल इस अवधि में 7799 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ था। इस साल राजस्व में 78 फीसदी की गिरावट आई है। सिसोदिया के अनुसार वर्तमान में दिल्ली को न्यूनतम 5000 करोड़ की आवश्यकता है।
आपदा राहत कोष से अन्य राज्यों को केंद्र सरकार से मदद मिली, लेकिन दिल्ली सरकार को कोई मदद नहीं मिली है। लॉकडाउन के दौरान दिल्ली में नौ लाख बच्चों ने ऑनलाइन शिक्षा का लाभ उठाया है। नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत करना अनोखा प्रयोग है। इस संकट के दौर में डिजिटल तकनीकों की मदद से ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन करना, काफी चुनौतीपूर्ण था। हमने पहले कभी ऐसी तकनीक का इस्तेमाल नहीं किया था। लेकिन अब हम कोरोना के समय में पेरेंटिंग के समापन सत्र में पहुंच गए हैं। यह बात उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कही। लॉकडाउन के दौरान दिल्ली सरकार के स्कूलों में ऑनलाइन शिक्षा का रविवार को समापन हुआ।
पत्र में क्या लिखा
सिसोदिया ने केंद्रीय वित्तमंत्री को पत्र में लिखा है कि कोरोना नियंत्रण में दिल्ली देश के अग्रणी राज्यों में है। दिल्ली अपना समस्त खर्च अपने संसाधनों से उठाती है। वित्त वर्ष 2020-21 में दिल्ली विधानसभा ने 65000 करोड़ का बजट पास किया है। इसमें 35500 करोड़ का खर्च स्थापना, लोकल बॉडीज को योगदान तथा ब्याज इत्यादि में होता है। सामान्य स्थिति में दिल्ली अपने संसाधनों से अपना खर्च उठाने में सक्षम है। लेकिन मौजूदा संकट में केंद्र की मदद आवश्यक है। केंद्र से 5000 करोड़ अनुदान मिलने पर दिल्ली नगर निगम को वेतन तथा स्थापना व्यय देने में भी सुविधा होगी।
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