दिल्ली वालाें काे बचाने के लिए बहादुरगढ़ के काेराेना विजेता दे रहे प्लाज्मा
काेराेना काे हराकर घर लाैटे बहादुरगढ़ के बहादुर लाेग अब दिल्ली के काेराेना मरीजाें की जान बचाने के लिए आगे आरहे हैं। दिल्ली में प्लाज्मा थेरेपी के जरिये काेराेना के गंभीर मरीजाें का इलाज किया जाता है। काेराेना से ठीक हाे चुके लाेगाें का प्लाज्मा ही दूसरे मरीजाें काे दिया जाता है। ऐसे में दिल्ली के अस्पतालाें से बहादुरगढ़ के काेराेना काे हरा चुके लाेगाें के पास अपील आरही है।
बहादुरगढ़ के लगभग 71 लाेग काेराेना काे हरा चुके हैं। इनमें से दाे लाेग दिल्ली के लाेगाें के लिए प्लाज्मा डाेनेट भी कर चुके हैं। राेहतक की इंदिरा काॅलाेनी के काेराेना विजेता के पास भी दिल्ली से प्लाज्मा दान करने के लिए काॅल आई। अब पीजीआई राेहतक में भी प्लाज्मा थेरेपी से इलाज करने की प्रक्रिया शुरू हाे चुकी है। जल्द ही यहां पर भी यह विधि से काेराेना मरीजाें का इलाज हाेने की उम्मीद है। एक युवा इंजीनियर यहां पर प्लाज्मा दान कर चुके हैं और दाे ने और सहमति जताई है। पीजीआई से करीब 180 लाेग काेराेना से ठीक हाेकर घर जा चुके हैं। अब इनसे भी संपर्क साधा जाएगा।
केस-1: मेदांता से अपील आने पर सब्जी व्यापारी ने दान किया प्लाज्मा
झज्जर जिले में बहादुरगढ़ के नयागांव निवासी व सब्जी व्यापारी 39 वर्षीय नरेंद्र में 30 अप्रैल को कोरेाना वायरस संक्रमण की पुष्टि हुई। वे इलाज कराने के लिए पीजीआई रोहतक में भर्ती हुए। ठीक हाेने पर 13 मई को पीजीआई प्रशासन की ओर से उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया। नरेंद्र बताते हैं कि करीब पांच दिन पूर्व गुड़गांव के मेदांता हाॅस्पिटल से दिल्ली के कोरोना मरीज में प्लाज्मा चढ़ाने की जरूरत बताते हुए दान करने के लिए कहा गया। चूंकि वो खुद कोरोना संक्रमण से उबर कर आए थे, इसलिए वे काेराेना अाैर मरीज की परेशानी के बारे में जागरूक थे। उन्हाेंने फौरन सहमति देते हुए बहादुरगढ़ के एक अस्पताल में प्लाज्मा दान कर दिया।
केस 2 : जाेखिम हाेने पर भी दिल्ली जाकर प्लाज्मा किया दान
बहादुरगढ़ निवासी व सब्जी व्यापारी 30 वर्षीय कुलदीप 13 मई को कोरोना संक्रमण का शिकार हुए थे। 16 मई तक वह पीजीआई के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती रहे। 22 जून को उनके पास दिल्ली के मनिपाल हाॅस्पिटल से प्लाज्मा दान करने के लिए कॉल आई। अस्पताल प्रशासन की ओर से उनके घर पर गाड़ी भेज दी गई। वह कोरोना मरीज की जिंदगी बचाने के लिए दिल्ली में खतरे हाेने पर भी प्लाज्मा दान करने गए।
क्याें जरूरत पड़ती है प्लाज्मा थेरेपी की : पीजीआईएमएस में संचालित कोविड 19 कंट्रोल रूम के प्रभारी डॉ. वरुण अरोड़ा ने बताया कि ऐसे मरीज जो किसी संक्रमण से उबर जाते हैं उनके शरीर में संक्रमण को बेअसर करने वाले प्रतिरोधी एंटीबॉडीज विकसित होती है। इसके बाद नए मरीजों के खून में पुराने ठीक हो चुके मरीज का खून डालकर इन एंटीबॉडीज के जरिए वायरस को खत्म किया जाता है।
एक डोनर से चार मरीजों की मदद
एक व्यक्ति के प्लाज्मा के जरिए चार नए मरीजों को स्वस्थ करने के लिए इसे ट्रांसफर कर सकते हैं। एक व्यक्ति के खून से 800 मिलीलीटर प्लाज्मा तैयार हो सकता है। एक मरीज के शरीर में 200 मिलीलीटर तक प्लाज्मा चढ़ा सकते हैं।
- डॉ. ध्रुव चौधरी, स्टेट नोडल अधिकारी, कोविड 19
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